शादी के बाद पति-पत्नी की जिंदगी एक हो जाती है, लेकिन जब बात संपत्ति की आती है, तो हालात अक्सर उलझ जाते हैं। खासतौर पर महिलाओं को यह पता होना जरूरी है कि उनका पति की संपत्ति पर क्या हक है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने इस विषय को और भी स्पष्ट कर दिया है। आइए, सरल भाषा में समझते हैं कि पत्नी को किन-किन संपत्तियों पर अधिकार मिलता है।
1. क्या पत्नी का हक होता है खानदानी संपत्ति पर?
खानदानी (पुश्तैनी) संपत्ति वह होती है जो पति को उसके पूर्वजों से विरासत में मिलती है।
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इस संपत्ति पर पत्नी का सीधा हक नहीं होता।
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लेकिन अगर पति की उस संपत्ति में कोई हिस्सेदारी है, तो पत्नी को उस हिस्से में हक मिल सकता है, खासकर पति की मृत्यु या तलाक की स्थिति में।
2. पति की मृत्यु या तलाक की स्थिति में क्या होता है?
अगर पति की मृत्यु बिना वसीयत के होती है, तो पत्नी को कानूनन बराबर का हिस्सा मिलता है।
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अगर वसीयत में पत्नी का नाम नहीं है, तब भी कोर्ट देखेगा कि वह निर्भर है या नहीं और उसके हित की रक्षा करेगा।
तलाक की स्थिति में:
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कोर्ट पत्नी को रहने की जगह, भरण-पोषण और अन्य ज़रूरी मदद दिला सकता है।
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अगर महिला के पास अलग रहने का स्थान नहीं है, तो उसे ससुराल में रहने की अनुमति भी मिल सकती है।
3. अगर प्रॉपर्टी सिर्फ पति के नाम हो तो?
अगर घर या जमीन केवल पति के नाम पर खरीदी गई है और पत्नी का नाम नहीं जोड़ा गया है, तो:
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पत्नी का सीधा मालिकाना हक नहीं होता।
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लेकिन अगर पत्नी ने खरीदी में आर्थिक सहयोग किया है, जैसे लोन चुकाने में मदद की या पैसा दिया, तो वह अपना हिस्सा मांग सकती है।
इसके लिए जरूरी होगा कि पत्नी के पास बैंक स्टेटमेंट, चेक, ट्रांजैक्शन रसीदें आदि सबूत हों।
4. संयुक्त संपत्ति में क्या होता है?
अगर कोई संपत्ति पति-पत्नी के दोनो नाम से खरीदी गई है या दोनों ने मिलकर उसमें पैसा लगाया है, तो:
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उसे संयुक्त संपत्ति माना जाएगा।
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तलाक या विवाद की स्थिति में दोनों को उनके योगदान के अनुसार हिस्सा मिलेगा।
कोर्ट में अगर पत्नी यह साबित कर पाए कि उसने आर्थिक योगदान दिया है, तो उसका दावा मान्य होता है।
5. दस्तावेजों का रखें विशेष ध्यान
अगर पत्नी ने संपत्ति में किसी भी तरह का योगदान दिया है, तो उससे जुड़े सभी दस्तावेज संभाल कर रखना बहुत जरूरी है, जैसे:
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रजिस्ट्री पेपर
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बैंक ट्रांजैक्शन
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चेक की कॉपी
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RTGS/NEFT रसीद
इन सबूतों की मदद से वह भविष्य में अपने हक की कानूनी रक्षा कर सकती है।
6. वसीयत और उत्तराधिकार कानून
अगर पति ने वसीयत बनाई है, तो वह मानी जाती है। लेकिन:
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अगर पत्नी को वसीयत में कुछ नहीं दिया गया है, और वह निर्भर थी, तो वह कोर्ट में दावा कर सकती है।
अगर कोई वसीयत नहीं है:
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संपत्ति का बंटवारा Hindu Succession Act के तहत होगा और पत्नी, बच्चे, माता-पिता आदि में बराबरी से किया जाएगा।
7. महिलाओं के लिए प्रैक्टिकल सलाह
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घर या जमीन खरीदते समय दोनों के नाम पर रजिस्ट्री करवाएं।
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आर्थिक सहयोग करते समय हर लेनदेन का सबूत रखें।
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विवाद या संदेह की स्थिति में किसी कानूनी सलाहकार से सलाह लें।
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अपने अधिकारों की जानकारी रखें और समय पर उनका इस्तेमाल करें।
निष्कर्ष: जागरूक महिला ही सुरक्षित है
कानून आज महिलाओं को संपत्ति में अधिकार देता है, लेकिन यह तभी प्रभावी होता है जब महिलाएं सजग और जागरूक हों। पति की संपत्ति में उनका हक सीधे न भी हो, पर परिस्थितियों के अनुसार उनका कानूनी अधिकार बनता है। जरूरी है कि महिलाएं अपने दस्तावेज संभालें, जानकारी रखें और ज़रूरत पड़ने पर कानून का सहारा लें।
इस तरह वे न सिर्फ अपने हक की रक्षा कर सकती हैं, बल्कि आत्मनिर्भर जीवन भी जी सकती हैं।