पत्‍नी के नाम प्रॉपर्टी खरीदकर पैसे बचाने वाले हो जाएं अलर्ट, हाईकोर्ट ने दे दिया सनसनीखेज फैसला Property Rights

By Shruti Singh

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भारत में संपत्ति को लेकर कई बार सवाल उठते हैं, खासकर तब जब कोई पुरुष अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदता है। लोग ऐसा अक्सर टैक्स में छूट पाने या पत्नी को आर्थिक सुरक्षा देने के उद्देश्य से करते हैं। लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि पत्नी उस संपत्ति की असली मालिक बन जाती है? इलाहाबाद हाईकोर्ट के हालिया फैसले ने इस पर अहम दिशा-निर्देश दिए हैं।

पत्नी के नाम पर संपत्ति क्यों खरीदी जाती है?

कई लोग पत्नी के नाम पर घर या जमीन खरीदते हैं क्योंकि कई राज्यों में महिलाओं के नाम पर रजिस्ट्री कराने पर स्टाम्प ड्यूटी में 1-2% की छूट मिलती है। इससे संपत्ति खरीदते समय काफी पैसा बचाया जा सकता है। इसके अलावा, कुछ लोग यह सोचकर भी ऐसा करते हैं कि भविष्य में पत्नी को आर्थिक सहारा मिलेगा।

हाईकोर्ट का फैसला: असली मालिक कौन?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर पत्नी ने अपनी स्वयं की आय से संपत्ति नहीं खरीदी है, तो वह संपत्ति पारिवारिक संपत्ति मानी जाएगी। यानी उस पर सिर्फ पत्नी का हक नहीं होगा, बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों का भी दावा हो सकता है।

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धारा 114 और संपत्ति का अधिकार

कानून की धारा 114 के अनुसार, अगर पत्नी यह साबित नहीं कर पाती कि उसने संपत्ति अपनी कमाई से खरीदी है, तो वह संपत्ति पति की कमाई से खरीदी मानी जाएगी। इस स्थिति में पत्नी उस संपत्ति को बेचदान, या हस्तांतरित नहीं कर सकती, क्योंकि वह उसकी निजी संपत्ति नहीं मानी जाती।

असल मामला क्या था?

सौरभ गुप्ता नाम के व्यक्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा कि उनके दिवंगत पिता ने एक संपत्ति अपनी पत्नी (यानी उनकी मां) के नाम पर खरीदी थी। लेकिन अब मां वह संपत्ति किसी तीसरे व्यक्ति को देना चाह रही थीं। कोर्ट ने इस पर कहा कि यदि मां के पास आय का स्रोत नहीं था, तो वह केवल सह-स्वामी हो सकती हैं, पूर्ण स्वामी नहीं।

पत्नी को कब मिलता है संपत्ति पर अधिकार?

भारतीय कानून के अनुसार, जब तक पति जीवित है, पत्नी का उसकी संपत्ति पर कोई स्वतंत्र अधिकार नहीं होता। लेकिन अगर पति की मृत्यु हो जाती है, और उसने कोई वसीयत नहीं बनाई है, तो पत्नी को उसकी संपत्ति में बच्चों के बराबर हिस्सा मिल सकता है। तब भी वह अकेले उस संपत्ति को किसी को नहीं दे सकती।

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दस्तावेजी सबूत क्यों जरूरी हैं?

अगर आप पत्नी के नाम पर कोई संपत्ति खरीदने जा रहे हैं, तो आपको यह ध्यान रखना चाहिए:

सिर्फ नाम से नहीं बनती है मालिकियत

यह जरूरी नहीं कि अगर संपत्ति पत्नी के नाम पर दर्ज है तो वह उसकी मालिक हो जाए। अगर वह खुद कमाई नहीं करती हैं और पति ने ही पैसे दिए हैं, तो उसे परिवार की संपत्ति माना जाएगा और उस पर अन्य उत्तराधिकारियों का भी हक होगा।

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निष्कर्ष: खरीदने से पहले सोच-समझकर कदम उठाएं

पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदना टैक्स में छूट दिला सकता है, लेकिन इससे जुड़े कानूनी पहलुओं को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि पत्नी की कोई स्वतंत्र आय नहीं है, तो भविष्य में संपत्ति पर बच्चों या अन्य उत्तराधिकारियों का दावा बन सकता है। इसलिए खरीदारी के समय पूरी पारदर्शिता रखें और सभी कानूनी दस्तावेज सही तरीके से तैयार करवाएं।

Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी संपत्ति या कानूनी निर्णय से पहले किसी योग्य वकील या कानूनी सलाहकार से परामर्श लेना आवश्यक है।

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Shruti Singh

Shruti Singh is a skilled writer and editor at a leading news platform, known for her sharp analysis and crisp reporting on government schemes, current affairs, technology, and the automobile sector. Her clear storytelling and impactful insights have earned her a loyal readership and a respected place in modern journalism.

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