आज के समय में लोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। घर, गाड़ी, व्यवसाय या मेडिकल जरूरतों के लिए लोग बैंक या वित्तीय संस्थानों से लोन लेते हैं। लेकिन कई बार नौकरी जाने, व्यापार में नुकसान या बीमारी जैसी वजहों से EMI भरना मुश्किल हो जाता है। ऐसे हालात में लोग आर्थिक दबाव के साथ-साथ बैंक और रिकवरी एजेंटों की धमकियों से परेशान हो जाते हैं।
इन्हीं समस्याओं को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोनधारकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए नई गाइडलाइन्स जारी की हैं। आइए सरल भाषा में जानते हैं इन नए नियमों के बारे में।
अब नहीं होगी मनमानी वसूली
RBI ने साफ कर दिया है कि अब बैंक और रिकवरी एजेंट लोनधारकों को डराने-धमकाने या अपमानित करने जैसे कदम नहीं उठा सकते। यदि कोई व्यक्ति लोन की किस्त नहीं चुका पा रहा है, तो उससे सम्मानपूर्वक और कानून के दायरे में ही वसूली की जा सकती है।
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इससे पहले कई रिकवरी एजेंट रात-दिन कॉल करते थे, अपशब्द बोलते थे या घर आकर धमकाते थे। अब ऐसा करने पर बैंक और एजेंट दोनों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
रिकवरी के लिए तय समय सीमा
RBI के नियमों के अनुसार, रिकवरी एजेंट सिर्फ सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक ही संपर्क कर सकते हैं। इसके बाद फोन करना, घर आना या मैसेज भेजना स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन है।
अगर कोई एजेंट छुट्टी के दिन या देर रात परेशान करता है, तो आप उसकी शिकायत बैंक और पुलिस दोनों से कर सकते हैं।
EMI बाउंस पर क्या होता है?
अगर आपकी तीन बार लगातार EMI बाउंस होती है, तो बैंक पहले एक नोटिस भेजता है और 90 दिन का समय देता है। चौथी या पांचवीं EMI न भरने पर दूसरा नोटिस आता है, जिसमें नीलामी की चेतावनी होती है।
इस बीच बैंक को ग्राहक से सम्मानजनक बातचीत करनी होती है और रिकवरी एजेंट किसी तरह का दबाव नहीं बना सकते। ग्राहक चाहें तो इस दौरान बैंक से समाधान की बात कर सकते हैं।
बैंक को देनी होगी जिम्मेदारी
अगर कोई रिकवरी एजेंट नियमों का उल्लंघन करता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी बैंक की होगी। बैंक को अपने एजेंटों की हरकतों का जवाब देना होगा। ग्राहक RBI की शिकायत सेवा या पुलिस थाने में जाकर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
शिकायत करते समय अगर आपके पास फोन रिकॉर्डिंग, स्क्रीनशॉट या गवाहों का बयान है, तो आपकी बात और मजबूत हो जाएगी।
नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता
यदि किसी ग्राहक की संपत्ति की नीलामी करनी हो, तो यह प्रक्रिया कानूनी और पारदर्शी तरीके से ही हो सकती है। बैंक अपने स्तर पर सीधा कब्जा नहीं कर सकता। पहले नोटिस, फिर अदालत और अंत में नीलामी की प्रक्रिया अपनानी होती है।
अगर नीलामी से मिलने वाली राशि लोन से ज्यादा है, तो बची हुई राशि ग्राहक को लौटाई जाती है।
मानसिक प्रताड़ना पर रोक
RBI ने यह साफ किया है कि मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना, अपशब्द कहना, धमकी देना, घर में जबरन घुसना या परिवार को डराना पूरी तरह गैरकानूनी है। यदि कोई एजेंट ऐसा करता है, तो उस पर आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है।
लोनधारक क्या कर सकते हैं?
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EMI न भर पाने की स्थिति में बैंक से बातचीत करें, समाधान खोजें।
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अगर रिकवरी एजेंट नियम तोड़े, तो सबूतों के साथ शिकायत दर्ज करें।
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RBI, बैंक की शिकायत शाखा या पुलिस से संपर्क करें।
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अपने अधिकारों को जानें और सम्मान के साथ व्यवहार की मांग करें।
निष्कर्ष: अब लोनधारकों को मिलेगी राहत और सम्मान
RBI की ये नई गाइडलाइन्स लोनधारकों को मानवता और कानून के दायरे में संरक्षण देती हैं। अब कोई भी व्यक्ति सिर्फ कर्ज न चुकाने की वजह से अपमानित या प्रताड़ित नहीं किया जा सकता। साथ ही, यह बैंक और ग्राहकों के बीच पारदर्शिता और भरोसे को भी मजबूत करती है।
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डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी कानूनी या वित्तीय निर्णय से पहले किसी विशेषज्ञ या वकील से सलाह जरूर लें। RBI के नियम समय-समय पर बदल सकते हैं, इसलिए आधिकारिक वेबसाइट से जानकारी जरूर प्राप्त करें।